Personal Details of मनीष गहलोत
ID No.:
288
Name:
मनीष गहलोत
AddressFull:
31, गणपति मार्केट, नई सड़क जोधपुर - 342001
Country :
India
State :
Rajasthan
District :
Jodhpur
PhoneNo:
91-94144-75464
MobileNo:
Email:
editor@malisaini.org
Organization:
Designation:
Remarks:
माली सैनी समाज का इतिहास अति प्राचीन, गौरवमयी तथा श्रम की साधना एवं महत्वत्ता का दस्तावेज है। माली समाज की प्राचीनता की नामीलाल उसे वैदिक संस्कृति व परम्परा के अन्तगर्त आने वाले कृषक वर्ग से संबधित करती है। माली समाज प्राचीन काल से ही श्रमनिष्ठ, सेवाभावी, परोपकारी तथा सरल स्वभाव का धर्म परायण समाज रहा है जो प्रकृति के हृदय पयार्वरण की कोख और देशी अस्मिता से सम्पर्क में रहा है और जिसने अपने परिश्रम, मानवीय कर्मो से परिपूर्ण जीवन के आधार भारतीय समाजों में अपना एक विशिष्ट स्थान स्थापित किया है। ठेठ भारतीय ग्रामीण संस्कृति व जमीन से जुड़ा यही वो मेहनतकश समाज है जिसने हाड़ तोड़ परिश्रम कर अपने शरीर को जला गलाकर शोषित होकर भी पूर्ण निष्काम भावना से पर हितार्थ कार्य करता रहा। अपने पसीने से पके बाद्यान्नों से धरा के अन्य मानवों का पेट तथा देश के भण्डारों को भरता रहा है। भारतीय लोक परम्परा और संस्कृति में रचे बसे विचारों से मानवीय व प्रगतिशील माली सैनी समाज में ही ज्योति बा फूले, सावित्री बाई फूले जैसे समाज सुधारका और श्री लिखमीदास जी जैसे संत हुए है। जिन्होंने गहरे प्रतिरोधों और आलोचनाओं से संघर्ष करते हुए स्त्रियों, पिछड़ो और शोषितों के प्रति प्रचिलत रूढ़ियों, परम्पराओं को तोड़ा तथा उन्हें हाशिए से उठा कर समाज की मुख्य धारा में प्रविष्ट कराया। ये ही समाज की वे महान विभूतियां है जिन्होंने मनुष्यता और उसके आवश्यक कोमल तत्वों में आस्था व गहन प्रतिबद्धता रखते हुए सत्ता के प्रति विद्रोह किया इसी कारण इनके सम्मुख बड़े-बड़े अधिकारी अफसर, राजा महाराजा तो झुकते ही थे। इतिहास गवाह है कि संत श्री लिखमीदास जी के खेत में पाणत करने हेतु स्वयं भगवान को जमीन पर आना पड़ा था। यह श्रम और भक्ति के महत्व व मान को प्रदर्शित करता उदाहरण है। आज माली समाज ने आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक क्षेत्रों में बड़ी प्रगति की है। समृद्धि को प्राप्त किया है तो इसके पीछे परिश्रम, सरलता और व्यवहार कुशलता ही प्रमुख आधार है। किन्तु प्रगति व विकास के साथ साथ समाज के बंधुओं की व्यस्थता बढ़ी है, उनके मध्य दूरियों ने जगह बना ली है। अपनों से पहचान कम हुई है। परस्पर संवाद संपर्क के तार टूट गए है और सामाजिक - स्नेह - स्त्रिधता भी ठोस हो गई है। इन्हीं मुश्किलों और असुविधाओं से रूबरू हो 'माली सैनी संदेश' का प्रकाशन किया जाता है।
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Saini Samaz
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